माँ बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा का इतिहास
माँ बगलामुखी का प्राचीन मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा नगर में, लखुंदर नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर पांडव कालीन माना जाता है और यहाँ माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है, जिसके साथ दाएं-बाएं महालक्ष्मी और महा सरस्वती की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर परिसर में भैरव, हनुमान, पारदेश्वर, राधे-कृष्ण और ऋषि-मुनियों की प्राचीन जागृत समाधियाँ भी मौजूद हैं, जो इसकी प्राचीनता का प्रमाण हैं।
यह मंदिर देश-विदेश में अपनी चमत्कारिक शक्तियों के कारण प्रसिद्ध है और विभिन्न राज्यों व विदेशों से श्रद्धालु यहाँ पूजा-अर्चना, अनुष्ठान एवं हवन के लिए आते हैं। मंदिर के चारों ओर श्मशान भी स्थित है क्योंकि मान्यता है कि माता तंत्र की अधिष्ठात्री तथा श्मशानवासिनी हैं।
मंदिर के बाहर सोलह स्तंभों वाला सभामंडप है, जिसे लगभग २५२ वर्ष पूर्व पंडित ईबूजी और कारीगर श्री तुलाराम ने बनवाया था। यहाँ एक कछुआ भी देवी की मूर्ति की ओर मुख किए हुआ है। मंदिर के सामने आठ मीटर ऊँची दीपमालिका है, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था।
माँ बगलामुखी तंत्र की देवी हैं, इसलिए मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान महत्वपूर्ण हैं। मूर्ति स्वयंभू और जागृत है। यहाँ बिल्वपत्र, चंपा, आँवला, नीम, पीपल जैसे पवित्र वृक्ष भी हैं। नवरात्रि के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। मंदिर के पीछे लखुंदर नदी के किनारे संत-मुनियों की कई समाधियाँ हैं, जो इस स्थान की पावनता को दर्शाती हैं।