तंत्र पूजा महत्व

माँ बगलामुखी तंत्र-मंत्र और उसकी प्रभावशाली शक्ति को समझने से पहले तंत्र के वास्तविक अर्थ को जानना आवश्यक है। शास्त्रों में “तंत्र” शब्द का अनेक बार उल्लेख मिलता है। इसका अर्थ है — किसी कार्य को व्यवस्थित और सुनियोजित ढंग से करना। तंत्र साधना के माध्यम से असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी संभव किए जा सकते हैं।

माँ बगलामुखी महाविद्या के तीन प्रमुख उपासक माने जाते हैं — सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा, पालनकर्ता भगवान विष्णु और भगवान परशुराम। इनके अतिरिक्त सनक, नंदन, सनातन, सनत कुमार, देवर्षि नारद, सांख्यायन, परमहंस, द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर, राजा नल, लंकापति रावण और विश्वामित्र जैसे महापुरुष भी माँ बगलामुखी के महान उपासक रहे हैं।

कालांतर में स्वामी शिव हरि बाबा, स्वामी विशुद्धानंद और श्री स्वामी जी महाराज ने माँ बगलामुखी और धूमावती तंत्र को सिद्ध कर असंख्य भक्तों का कल्याण किया। शास्त्रों में उल्लेख है कि माँ बगलामुखी तंत्र की शक्ति इतनी प्रबल है कि यह विधाता द्वारा निर्धारित कार्यों को भी परिवर्तित कर सकती है।

तंत्र साधना वास्तव में प्रकृति और ब्रह्मांड से गहरा संबंध स्थापित करने का श्रेष्ठ माध्यम है, जिसके द्वारा साधक आत्मिक शक्ति, दिव्य ज्ञान और जीवन की अनेक कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त करता है।

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