सम्मोहन तंत्र पूजा
सम्मोहन के प्रकार
सम्मोहन कई तरह का होता है, लेकिन मुख्य रूप से इसे पाँच भागों में बाँटा गया है—
आत्म सम्मोहन
यह सम्मोहन की सबसे बुनियादी विधि है। इसमें व्यक्ति खुद को सकारात्मक सुझाव या निर्देश देता है, जिससे तन और मन पर प्रभाव पड़ता है।पर सम्मोहन
इस प्रकार में कोई व्यक्ति दूसरे को सम्मोहित करता है। इससे सम्मोहक दूसरे के विचारों और भावनाओं को प्रभावित कर सकता है एवं आवश्यक सुझाव देकर उसके विकास में मदद करता है। कभी-कभी इससे चमत्कार भी दिखाए जाते हैं।समूह सम्मोहन
इस तरीके में पूरे समूह या भीड़ को सम्मोहित किया जाता है। इसमें सम्मोहनकर्ता पूरी सभा को एक जैसा सोचने और व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है। कहते हैं कि समूह में सम्मोहन करना अपेक्षाकृत आसान है, क्योंकि लोग एक-दूसरे की भावनाओं का अनुसरण करते हैं।प्राणी सम्मोहन
इसका प्रयोग जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों आदि के सम्मोहन में किया जाता है। जैसे सर्कस में रिंगमास्टर जानवरों को सम्मोहित करता है। इसमें विशेष रोशनी, शोर, भय आदि का उपयोग कर प्राणी की नजरों में नजरें डालना होता है, जिससे उसे वश में किया जा सके।परामनोविज्ञान सम्मोहन
यह सम्मोहन का विशेष रूप है जिसमें व्यक्ति अत्यंत गहरी स्थिति में जाकर दूर स्थित व्यक्ति या समूह को सम्मोहित कर सकता है। इसके माध्यम से पूर्वजन्म की जानकारी, खोई वस्तु की खोज, आत्माओं से संपर्क, और वर्तमान या भविष्य की घटनाओं का पता लगाना संभव है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति ईथर माध्यम से जुड़ जाता है और योगियों जैसी क्षमताएँ हासिल कर लेता है।
इस तरह, सम्मोहन की कई विधाएँ हैं, जो अलग-अलग प्रयोजन और प्रभाव के अनुसार उपयोग की जाती हैं।